پيش گفتار | 17 |
مقدمه | 19 |
1.بيان موضوع | 19 |
اجتهاد در همه اعصار | 20 |
رابطه شريعت،فقه و اجتهاد با عرف | 21 |
2.انگيزه | 22 |
3.عرف در مذاهب فقهي | 24 |
3_1.فقه شيعه و عرف | 29 |
3_2.مالکيت و عرف | 30 |
3_3.حنفيه و عرف | 30 |
3_4.شافعيه و عرف | 31 |
3_5.حنابله و عرف | 33 |
4.ساختار کتاب | 35 |
بخش يکم، کليات | 37 |
فصل يکم، مفاهيم تحقيق(فقه و عرف) | 39 |
مبحث اول، فقه | 39 |
1.«فقه» در لغت و عرف | 39 |
2.واژه «فقه» در بستر تاريخ ديني خويش | 40 |
3.«فقه» در اصطلاح | 42 |
مبحث دوم:عرف | 44 |
گفتار اول : واژه شناسي عرف | 44 |
1.«عرف» در لغت | 44 |
2.«عرف» و «معروف» درنصوص و متون ديني (قرآن ،حديث و کتب تفسير) | 47 |
3.«عرف» در اصطلاح فقه، حقوق و اصول | 48 |
گفتار دوم، تفسير«عرف» از طريق تحليل کاربرد ها و مولفه ها | 52 |
1.کاربرد ها | 52 |
تسامح در استعمال «عرف» به معناي مردم | 54 |
2.مولفه هاي عرف مصطلح | 58 |
نمود هاي عرف | 60 |
تفسير نهايي عرف مصطلح | 61 |
گفتار سوم :مبادي عرف | 63 |
گفتار چهارم، اقسام عرف | 68 |
1.عرف تسامحي و دقيق | 70 |
2.عرف کارشناس و غير کارشناس | 72 |
3.عرف مفهومي و تطبيقي | 73 |
فصل دوم، واژه هاي کليدي همسو و مرتبط با مفاهيم تحقيق | 75 |
مبحث اول،واژه هاي کليدي همسو و مرتبط با «فقه» | 75 |
1.«شريعت» | 75 |
شريعت بالمعني الاعم | 77 |
شريعت بالمعني الاخص | 77 |
رابطه شريعت و فقه | 78 |
2.«اجتهاد» | 83 |
3، 4 و 5. «مبنا»، «منبع» و «سند» | 85 |
گونه هاي اجتهاد | 94 |
مبحث دوم، واژه هاي همسو و مرتبط با عرف | 96 |
1.«عادت» | 96 |
رابطه عرف و عادت | 97 |
بررسي نهايي | 99 |
2.«مبناي عقلا»(=سيره،سيره عقلا) | 100 |
گفتار اول، چيستي بناي عقلا | 102 |
گفتار دوم، مبادي بناي عقلا | 105 |
بررسي ماهيت مدرکات عقلي عملي | 107 |
نقد نظر نخست | 110 |
نقد نظر دوم و بررسي نهايي | 112 |
مشهورات بالمعني الاخص و بالمعني الاعم | 112 |
گفتار سوم، رابطه بناي عقلا و ديگر مفاهيم همسو | 117 |
رابطه عرف و بناي عقلا | 119 |
رابطه مدرکات عقل و بناي عقلا | 121 |
سيره،سيره متشرعه و بناي عقلا | 122 |
3.«اجماع» | 123 |
رابطه اجماع، عرف و بناي عقلا | 124 |
4.«قانون» | 125 |
رابطه قانون و عرف | 125 |
5.«سنّت، هنجار و نُرم» | 128 |
رابطه سنّت و عرف | 128 |
رابطه هنجار، نرم و عرف | 129 |
يادآوري | 130 |
چکيده بخش يکم | 131 |
بخش دوم، کاربرد عرف در فقه و استنباط احکام شرع | 133 |
فصل يکم، کاربرد استقلالي | 137 |
مبحث اول، منبع انگاشتن عرف | 137 |
منبع انگاشتن عرف و اقتضاي عقل | 140 |
منبع انگاشتن عرف و نصوص متون ديني | 142 |
مبحث دوم، سند انگاشتن عرف در اجتهاد | 149 |
گفتار اول، مفهوم سند انگاشتن عرف | 149 |
گفتار دوم، پيش فرض ها در سند انگاشتن عرف | 153 |
قلمرو شريعت | 154 |
بررسي و تحقيق | 158 |
گفتار سوم، تعيين عرف مورد گفتگو | 161 |
گفتار چهارم، موقعيت سندي عرف و بناي عقلا در انديشه ها | 167 |
عدم حضور سندي عرف در فقه شيعه | 169 |
بررسي وظيفه شارع و امام(ع) در بيان شريعت | 173 |
تحليل روايات: «ان شئنا اجبنا و ان شئنا امسکنا» | 176 |
گفتار پنجم، موقعيت سندي عرف و بناي عقلا در ادله و اسناد معتبر | 181 |
1.ادله اثبات | 181 |
يکم.و علي المولود له رزقهنّ و کسوتهنّ بالمعروف | 182 |
نقد | 183 |
دوم. خذ العفو و أمر بالعرف | 183 |
نقد | 185 |
سوم. ما رآه المسلمون حسناً فهو عند الله حسن | 188 |
نقد | 189 |
چهارم. انتم اعلم بُامور دنياکم | 190 |
نقد | 191 |
پنجم.روايات دالّ بر سکوت خداوند در مواردي چند | 193 |
نقد | 194 |
ششم. روايات دالّ بر لزوم همراهي با اکثريت | 196 |
نقد | 197 |
هفتم.اقتضاي عقل | 197 |
نقد | 200 |
2.ادلّه نفي | 201 |
الف) اصل عدم سنديت عرف | 201 |
ب)ادله مذمت از اکثريت | 202 |
انديش? نخبه گرا | 203 |
نقد | 205 |
بررسي نقد | 206 |
گزيد? گفتار | 207 |
کالبد شکافي، مبدأشناسي و پسينه کاوي عرف ها | 207 |
لزوم توجه به کارکرد هاي عقل به جاي سندانگاري عرف | 207 |
يافتن منشأ معتبر براي عرف به جاي کاوش از اتصال به عصر معصوم(ع) | 208 |
مشکل کالبدشکافي بناي عقل و عرف | 209 |
پاسخ | 210 |
گفتار ششم، بررسي راه هاي احراز اتّصال سيره ها به عصر معصوم(ع) | 211 |
فصل دوم، کاربرد غير استقلالي (آلي) عرف | 213 |
موقعيت اين کارايي در انديشه ها | 213 |
1.مراجعه به عرف در مفاهيم مفردات و هيأت هاي به کار رفته در دليل | 214 |
پاي بندي شرع به قواعد حاکم بر محاورات مردم | 215 |
بيان انديشه مخالف اين کارايي و نقد آن | 216 |
بررسي | 216 |
بيان رقيب براي عرف در اين کارايي و نقد آن | 217 |
بررسي | 218 |
شمارش عناصر، رقيب ايکال به عرف و نقد آن | 219 |
نقد | 220 |
محدوده کاربرد مصطلح شرع | 223 |
برخورد تعبدي يا عرف مدار با مصطلحات و تطبيقات زمان شارع | 224 |
نظريه تحقيق | 230 |
2.مراجعه به عرف در برداشت از مجموعه دليل يا ادلّه و امور پيرامون | 231 |
تفاوت اين کارايي با کارايي اول | 231 |
موقعيت اين کاربرد | 232 |
بيان انديشه مخالف و نقد آن | 233 |
گونه هاي اين کاربرد | 234 |
1.تنقيح مناط، الغاي خصوصيت و اولويت عرفي(توسيع مدلول دليل) | 234 |
2.تخصيص، تقييد و عدم انعقاد اطلاق در دليل به عرف و عادت(تضييق مدلول دليل) | 236 |
3.تغيير و عمل نکردن به نص شرعي به دليل تغيير عادت و عرف! | 237 |
توضيح اجمالي عناويني چون مذاق فقه، شمّ الفقاهه دوق حقوقي و | 240 |
لزوم توجّه بيشتر به عقل و اَسناد کلان در اجتهاد | 242 |
اولويت حذف عناويني چون مذاق فقه و | از متون استدلالي فقه | 243 |
کارايي دوم عرف و کار تحقيقي فقيهان | 247 |
3.مراجعه به عرف در تطبيق مفاهيم عرفي بر مصاديق | 252 |
موقعيت اين کاربرد در انديشه ها | 253 |
موارد ناهمگن با کاربرد عرف در تطبيق، از فقه | 254 |
عدم اعتبار عرف غافل و متأثّر از مقارنات | 258 |
انديشه اول(موافق) | 259 |
انديشه دوم (مخالف) | 260 |
نقد و بررسي | 263 |
نقد انديشه اول | 263 |
نقد انديشه دوم | 264 |
نقد نظريه توسعه در مفهوم | 265 |
نهاد هاي تطبيقي مذکور در متون فقهي | 266 |
1.فقيه و متصدّي اسنتباط | 267 |
2.شخص مکلّف | 267 |
3.عرف خاص و مقيد | 267 |
4.عرف خبره و کارشناس | 268 |
5.عقل و دقّت کامل | 269 |
6.عرف عام(دقيق و مسامح)…270 |
بررسي پاياني | 270 |
اصل اول | 270 |
اصل دوم | 272 |
اصل سوم | 273 |
بررسي اعتبار يا عدم اعتبار داوري کارشناس در تطبيق | 274 |
نقد انديشه عدم اعتبار نظر کارشناس در تطبيق | 275 |
نقد سخن نخست | 275 |
نقد سخن دوم | 276 |
نقد سخن سوم | 278 |
اصل چهارم | 278 |
توضيح | 280 |
4.کارايي عرف در امور تقنين | 282 |
نمود اول، استهجان عرفي تخصيص و تقييد اکثر از عام و مطلق | 283 |
نمود دوم، نحوه حدّ و کفايت بيانِ قانون | 284 |
أ.نحوه بيان قانون | 284 |
ب.حدّ بيان قانون | 286 |
ج.کفايت بيانِ قانون با داوري مردم(عرف) | 287 |
شواهد اصولي فقهي مرجعيت عرف در کفايت بيان | 291 |
5.حضور عرف در عرصه ادلّه و اَسناد | 293 |
نمونه اول، عرف و فهم تعارض ادلّه | 294 |
نمونه دوم، عرف و جمع ميان ادلّه و تنسيق آن ها | 294 |
أ.جمع ميان ادلّه | 294 |
بررسي | 296 |
ب.تنظيم و تنسيق ادلّه | 297 |
نمونه سوم، عرف و توسيع مفهوم واژه هاي ذکر شده در دليل | 298 |
نمونه هاي متفرق ديگر | 299 |
6.حضور عرف در قرارداد ها و معاملات | 299 |
7.موضوع سازي و موضوع زدايي عرف براي جريان اسناد و احکام و عدم جريان آن ها | 303 |
لزوم اعلان عدم رضايت از سوي مالک در برخي موارد | 308 |
حضور عرف موضوع ساز در تثبيت حقوق معنوي مولفان و | 310 |
نمودار | 313 |
چکيده بخش دوم | 314 |
بخش سوم، شبهه ها، پرسش ها و آسيب ها | 317 |
فصل يکم، شبهه ها و پرسش ها | 321 |
1.حوزه شريعت و عرف | 321 |
تاريخچه بحث | 324 |
انديشه شمول | 325 |
ادله اين نظريه | 325 |
انديشه انعزال | 328 |
انديشه ابهام | 329 |
ادله اين انديشه | 331 |
انديشه اعتدال | 333 |
مرحله نخست، توضيح انديشه اعتدال | 335 |
مرحله دوم، تثبيت انديشه اعتدال و نقد ساير انديشه ها | 343 |
نقد ادلّه دالّ بر انديشه ي شمول | 346 |
نقد انديشه انعزال و ابهام | 349 |
2.بيان موضوع، فقه يا عرف؟ | 353 |
گفتار اول، مراد از موضوع، مصداق موضوع، حکم و متعلق حکم | 356 |
خاصيت موضوع، متعلق و مصداق | 358 |
آميخت ناصحيح موضوع و مصداق | 359 |
گفتار دوم، اقسام موضوع | 362 |
موضوعات مستنبطه در مقابل مخترعات | 364 |
گفتار سوم، مروري بر انديشه ها | 365 |
گفتار چهارم، نظريه تحقيق | 371 |
مرجعيت قاضي و حاکم در اصدار حکم و تعيين مصداق | 372 |
مراجعه به فقيه در مفاهيم مخترع شرعي | 374 |
مراجعه به فقيه در حدود موضوعات مستنبط | 375 |
مراجعه به فقيه در برخي مصاديق داراي پايه اجتهادي | 380 |
مراجعه به فقيه در مفهوم و مصداق مورد تعبد | 382 |
ضرورت تمييز موارد کارشناسي حجت از غير حجت | 387 |
يادآوري | 389 |
3.ابزار کشف مفاهيم عرفي و مصاديق آن | 392 |
راه هاي کشف | 396 |
اعمال تعبد ضمن پذيرش رويه عقلا در تطبيق مفاهيم بر مصاديق | 398 |
4.عرف معيار | 399 |
گفتار اول، مروري ببر برخي گفته ها و انديشه ها در عرف معيار | 399 |
نقد و بررسي سخن اخير | 401 |
گفتار دوم، نقد گفته ها و تحقيق مطلب | 404 |
5.نهاد حاکم به بقا يا عدم بقاي موضوع استصحاب | 412 |
فصل دوم، آسيب ها | 419 |
1.عرفي انگاري شريعت و فقه | 419 |
نقد و بررسي | 421 |
2.برداشت ناصحيح از تأثير زمان و مکان بر احکام | 422 |
موارد توهّم تغيير حکم | 424 |
ثبات شريعت و تحول فقه | 427 |
نقد و بررسي | 428 |
3.واگذاري تشخيص موضوعات پيچيده به عرف مردم | 430 |
نقد و بررسي | 432 |
تحقيق | 434 |
4.توهّم عرف عام و بناي عقلا | 439 |
نمونه اول | 440 |
نقد | 440 |
نمونه دوم | 442 |
نقد | 444 |
5.جابجايي غير عملي عرف با غير عرف در کاربرد | 446 |
چکيده بخش سوم | 451 |
کتابنامه | 455 |
فهرست اعلام | 473 |